टीबी बीमारी कलंक नहीं, मरीजों से नहीं करें भेदभाव

• किसी भी व्यक्ति को हो सकता है टीबी।

• टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मजबूती देने के लिए विभाग प्रयासरत।

• टीबी मरीजों की हो रही है निगरानी।

छपरा,6 जुलाई । टीबी बीमारी कलंक नहीं है, इसलिए इससे मन में कुंठा की भावना न रखें। समाज को टीबी मरीज से भेदभाव नहीं, हमदर्दी रखनी होगी। टीबी को लेकर हमारे समाज में गलत अवधारणाएं प्रचलित हैं, जिन्हें दूर किया जाना अत्यंत आवश्यक है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि समाज में टीबी को लेकर अब भी एक तरह का डर है। यह डर कहीं न कहीं इसके मरीजों के साथ भेदभाव का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि टीबी रोगियों के प्रति भेदभाव को रोकने के लिए जन सहभागिता बहुत जरूरी है। इसमें जिलेवासियों का सहयोग मील का पत्थर साबित होगा। लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि टीबी हमें नहीं हो सकती। अमीर हो या गरीब, टीबी किसी को भी हो सकती है। टीबी जात-पात, ऊंच-नीच भी नहीं देखता। इसलिए लोगों को मन से यह भ्रम निकाल देना चाहिए। मरीजों में हर वर्ग और समुदाय के लोग हैं। इसलिए इस बीमारी को भेदभाव से नहीं देखना चाहिए। खासकर गांव में यह भ्रांति है कि यह बीमारी गरीबों को ज्यादा होती है।

 

टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मजबूती देने के लिए विभाग प्रयासरत:

 

डीपीसी हिमांशु कुमार ने बताया कि टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मजबूती देने के लिये जिला में गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। इसे लेकर लगातार जागरूकता संबंधी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पर्यवेक्षकों द्वारा मरीजों का समुचित ध्यान रखा जा रहा है । क्षेत्र भ्रमण कर वे टीबी मरीजों के दवा सेवन, उनके खानपान, रहने व सोने के तरीकों, मास्क के उपयोग समेत अन्य दिनचर्या की जानकारी दे रहे हैं। वे मरीजों को नियमित रूप से दवा का सेवन करने की सलाह देते हैं। जिले में टीबी की विश्वसनीय जांच व सम्पूर्ण इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

 

लक्षण दिखे तो जांच केंद्र में टीबी की जांच कराएं :

दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, रात के समय बुखार आना, बलगम में खून आना, वजन का कम होना व रात को सोते समय पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी जांच केंद्र में अपनी टीबी की जांच करवानी चाहिए। अधिक से अधिक लोग टीबी के लक्षणों के बारे में जानें और अपने आसपास रहने वाले लोगों में यदि इनमें में से कोई लक्षण दिखे तो जांच के लिए प्रेरित करें। अधिसूचित रोगी का जब तक उपचार चलता है, तब तक प्रतिमाह 500 रुपये वित्तीय सहायता प्रोत्साहन राशि निक्षय पोषण योजना के तहत सीधे मरीज के खाते में भेजी जाती है।

Leave a Comment

What does "money" mean to you?
  • Add your answer