एईएस से पीड़ित बच्चों की होगी दिव्यांगता जांच, स्वास्थ्य विभाग की टीम करेगी सर्वे 

• एईएस से शारीरिक, मानसिक दिव्यांगता की होती है संभावना

• चमकी बुखार की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग सतर्क।

छपरा,14 जुलाई । जिला में एईएस यानि चमकी बुखार से प्रभावित बच्चों में दिव्यांगता की जांच की जायेगी। . इस संबंध में अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम अधिकारी मलेरिया विभाग द्वारा आदेश निर्गत किया गया है। जिसमें कहा गया है कि एईएस प्रभावित मरीजों की सूची तैयार करते हुए उनमें रेसिड्यूल वीकनेस यानि दिव्यांगता की जांच की जाये। . साथ ही ऐसे बच्चों के समुचित उपचार करते हुए इसकी सूचना दी जाये। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि एईएस यानि चमकी बुखार से प्रभावित बच्चों में आंशिक या स्थायी दिव्यांगता का खतरा होता है। इसके लिए एईएस पीड़ित मरीजों का सर्वे किया जायेगा। बच्चों में एईएस के प्रभाव से हाथ या पैर के हिस्से में लकवा या अन्य दिव्यांगता जैसे मानसिक या आंखों की रोशनी जाना आदि जैसे परिणाम दिखते हैं। बताया कि एईएस से पीडि़त हुए बच्चों में दिव्यांगता की पहचान करने के संबंध में उन सभी जीवित बच्चों की सूची जिला के प्राथमिक तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को भेजी गयी है। इन बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी रखने का निर्देश है। ऐसे बच्चों जिनकी दिव्यांगता को दवाई या फिजियोथेरेपी से ठीक किया जा सकेगा, उन्हें स्वास्थ्य विभाग की ओर से आवश्यक मदद दी जायेगी।

 

चमकी बुखार की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग सतर्क:

चमकी बुखार के कारण आंशिक दिव्यांगता के शिकार बच्चे लंबे समय तक इलाज होने पर सामान्य जीवन जी सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास ऐसे बच्चों को निदान और पुनर्वास के जरिए जीवन की मुख्यधारा में शामिल कराना है। दूसरी तरफ जिला में एईएस की रोकथाम के लिए सभी प्रखंडों के संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिये गये हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों पर जरूरी दवाइयां मौजूद हैं।

 

चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण व इससे बचाव के उपाय

• लगातार तेज बुखार रहना

• बदन में लगातार ऐंठन रहना

• दांत पर दांत दबाए रखना – सुस्ती चढ़ना

• कमजोरी की वजह से बेहोशी आना

• चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि न होना

 

चमकी बुखार से बचाव

• बच्चों को बेवजह धूप में न निकलने दें

• गंदगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें

• ओआरएस का घोल, नींबू पानी, चीनी लगातार पिलायें

• बुखार होने पर शरीर को पानी से पोंछे और पारासिटामोल की गोली दें। जब इससे भी नियंत्रण नहीं हो तो नजदीकी डॉक्टर से जरूर मिलें।

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